कारगिल विजय दिवस 2019: कारगिल विजय दिवस प्रत्येक भारतीय के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है | इस दिवस को प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को मनाया जाता है | 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक कारगिल की प्रमुख चौकी की कमान संभाली, जो पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा हमसे छीन ली गयी थी। कारगिल युद्ध 60 से भी अधिक दिनों के लिए लड़ा गया था, यह 26 जुलाई को खत्म हो गया और परिणामस्वरूप दोनों पक्षों, भारत और पाकिस्तान के जीवन में नुकसान के बाद, हमने कारगिल पर विजय प्राप्त की | आज में आप लोगो के साथ उन कारगिल के वीरो की याद में इस पोस्ट “कारगिल विजय दिवस पर कविता – Kargil Vijay Diwas Par Kavita 2019” के माध्यम से कुछ कविता पेश कर रहा हु |
कारगिल विजय दिवस पर कविता
रावलपिंडी से कराची तक सब कुछ गारत हो जायेगा !
सिंधु नदी के आर पार पूरा भारत हो जायेगा !!
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से गुजरेगी गंगा !
इस्लामाबाद की धरती पर लहराएगा भारत का झंडा !!
फिर सदियों सदियों तक जिन्ना जैसा शैतान नहीं होगा !
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !तुम याद करो अब्दुल हमीद ने पैटर्न टैंक जला डाला,
हिन्दुस्तानी नेटो ने अमरीकी जेट जला डाला,
तुम याद करो नब्बे हजार उन बंदी पाक जवानों को,
तुम याद करो शिमला समझौता इंदिरा के एहसानों को,
पाकिस्तान ये कान खोलकर सुन ले,
अबकी जंग छिड़ी तो यह सुन ले,
नाम निशान नहीं होगा,
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !तुम किस गफलत में छेड़ रहे सोई हल्दी घाटी को,
जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को,
भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को,
खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है,
सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है,
बहुत हो चुकी मक्कारी,
बस बहुत हो चुका हस्तक्षेप,
समझा ले अपने इस नेता को वरना भभक पड़ेगा पूरा देश,
क्या होगा अंजाम तुम्हे अब इसका अनुमान नहीं होगा,
नाम निशान नहीं होगा,
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !
भारत माता की जय !
कारगिल विजय दिवस पर कविता 2019
प्राण दिये पर कर दी दुश्मन
की कोशिश नाकाम
ओ सीमा के सजग प्रहरियों
शत् शत् तुम्हें प्रणामदिया कारगिल युद्ध क्षेत्र में
जो तुमने बलिदान
युगों-युगों तक याद रखेगा
उसको हिन्दुस्तान
छक्के छुडा दिये दुश्मन के
जीना किया हरामधन्य धन्य पितु मातु तुम्हारे
धन्य तुम्हारा गाँव
जिनकी गोदी में पले बढ़े
तुमसे ललना के पाँव
जब तक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा नामपड़ा भागना पाक फौज को
लेकर अपनी जान
सौ के ऊपर पड़ा हिन्द का
भारी एक जवान
अपने कर्मों का नवाज जी
भोग गये परिणाम।
26 july कारगिल विजय दिवस पर कविता
पाकिस्तानी सेना को किया परास्त
करो याद भारत के वीर जवानों को।
कारगिल की चोटी पर लहराया तिरंगा
उन देश भक्तों की कुर्बानी को।दुश्मन के सैनिकों को मार गिराया
नाकामयाब किया उनकी चालों को।
श्रद्धा सुमन अर्पित उन साहसी
निडर भारत भूमि के लाडलों को।बर्फ पर चलते दुश्मन को मार गिराते
रात जागते देश की रक्षा करने को।
आंधी हो तूफान हो या हो रेगिस्तान
याद करो उन वीरों की शहादत को।देश के लोग सुकून से सोते रात भर
शत् शत् नमन ऐसे पहरेदारों को।
तब वह खाते अपने सीने पर गोलियां
भूलों नहीं ऐसे देश के रखवालों को।
Kargil Vijay Diwas Par Kavita 2019
`चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
~चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंधप्यारी को ललचाऊँ,चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
“चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक!!
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Kargil Vijay Diwas Par Kavita
शोहरत ना अता करना मौला, दौलत ना अता करना मौला…
बस इतना अता करना चाहे, जन्नत ना अता करना मौला…
शम्मां-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो…
होठों पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो….बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओं में…
बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते -तपते सेहराओं में…
जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे…
हम रहे कभी ना रहे मगर, इसकी सज-धज आबाद रहे…
गोधरा ना हो, गुजरात ना हो, इंसान ना नंगा हो….
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो..
26 July Kargil Vijay Diwas Par Kavita 2019
आरम्भ है प्रचंड,
बोले मस्तकों के झुण्ड,
आज जंग की घडी की तुम गुहार दोआन, बान ,शान या की जान का हो दान,
आज एक धनुष के बाण पे उतार दोमन करे सो प्राण दे जो,
मन करे सो प्राण ले जो,
वही तो एक सर्व शक्तिमान है
ईश की पुकार है, ये भागवत का सार है
की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण हैकौरवों की भीड़ हो,
या पांडवो का नीड हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान हैजीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या जिंदगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरे
ये जाके आसमानो में दहाड़ दोआरम्भ है प्रचंड ….
हो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या की पूरे भाल पर जल रहे विजय का लाल
लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदुंग केसरी हो
या की केसरी हो लाल तुम ये सोच लोजिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दोआरम्भ है प्रचंड ….
कारगिल स्मृति दिवस पर कविता
उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगाचखाएँगे मज़ा बर्बादिए गुलशन का गुलचीं को
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगाये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगाजुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज़
न जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ औ तू कहाँ होगावतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगाशहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगाकभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा