गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी 2019 – Republic day Poem in Hindi

गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी 2019 - Republic day Poem in Hindi

गणतंत्र दिवस पर कविता 2019: प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में हमारे देश भारत में मनाया जाता है। इस महान दिन को ना सिर्फ भारत में रहने वाले भारतीय बल्कि विश्व के कोने कोने में रहने वाले भारतवासी उत्साह के साथ मनाते हैं। इसी दिन 26 जनवरी 1950 को भारत एक प्रजातांत्रिक गणतंत्र देश बना था क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान पारित हुआ था। आज में आप लोगो के साथ इस पोस्ट “गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी 2019, Republic day Poem in Hindi” के माध्यम से गणतंत्र दिवस पर कविता सांझा कर रहा हु जिसे आप अपने मित्रो और प्रियजनों के साथ आसानी से शेयर कर सकते है

26 जनवरी के दिन देश की राजधानी नई दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। सभी लोग बड़े सम्मान के साथ खड़े होकर राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं। दिल्ली में बहुत से भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक भव्य परेड निकाली जाती है। रेजिमेंट, नौसेना, वायु सेना के सैनिक इसमें हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के बच्चे भी इसमें प्रतिभाग करते हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर स्थित “अमर जवान ज्योति” पर पुष्प माला डालकर शहीद सैनिकों का सम्मान करते हैं।

गणतंत्र दिवस पर कविता

गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी 2019, Republic day Poem in Hindi

जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है|
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है|
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है|
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है|
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है|
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है|
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है|
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है||

Republic day Poem in Hindi

ताकतवर बहुत है यह गणतंत्र I
बदल देता है यह राज्य तंत्र I
कमजोर नहीं शक्तिशाली है यह ,
है सत्ता परिवर्तन का सहज यह मंत्र I
संविधान देता है सबको हक़ जीने का I
अवसर शाशन हेतु साठ महीने का I
जनता बिठाती है सर आँखों पर लेकिन ,
बदले में चाहती है शाशन करीने का I
गणतंत्र दिवस पर सभी को गर्व है I
देश का यह सर्वोत्तम पर्व है I
समान अधिकार देता है नागरिकों को ,
खुली हवा खुली आँखों का ये स्वर्ग है |

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर कविता

जैसे की हम सब जानते हैं 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ था और उसके बाद 26 जनवरी 1950 को डॉ भीमराव अंबेडकर की मदद से भारत को एक मजबूत संविधान प्राप्त हुआ। उसी दिन के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। 

गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी 2019 - Republic day Poem in Hindi

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मुझको मेरे देश पसंद है,
इसका हर सन्देश पसंद है,
इसकी मिट्टी में मुझको आती सौंधी सी सुगंध है।
इसकी हर एक बात निराली है,
इसकी हर सौगात निराली है,
इसके वीरो की गाथा सुन,
आती एक नई उमंग है।
कितनी भाषा, कितने लोग,
हर एक की है नई सोच,
संस्क्रति सभ्यता भले ही हो भिन्न,
पर मिलते एकता के चिन्ह।
जो अगर देश पर आये आंच,
एक होकर सब आते साथ,
मेरा देश है बड़ा महान,
ये है एक गुणों की खान।
देखली हमने सारी दुनिया,
पर देखा ना भारत जैसा,
इस मिट्टी में जन्म लिया है,
इसकी हवाओ की ठंडक से,
साँसे पाती नया जन्म है।
मुझको मेरा देश पसंद है।

गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी

26 जनवरी का दिन है आया,
भारत का झंडा लहरा कर,
हम सब ने गणतंत्र दिवस है खूब मनाया।
26 जनवरी का दिन है आया,
हम सब ने मिलकर राष्ट्रीय गीत है मिलकर गाया।
सविंधान भारत का बना इस दिन,
कर्तव्य और अधिकारों को पाकर,
नागरिक खुलकर जीना सिखा है,
इस दिन को पाकर।

Poems on Republic Day in Hindi

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जनतंत्र के उद्घोष से गुंजित दिशाएँ!
आज जन-जन अंग शासन का,
बढ़ गया है मोल जीवन का,
स्वाधीनता के प्रति समर्पित भावनाएँ!
अब नहीं तम सर उठाएगा,
ज्याति से नभ जगमगाएगा,
उद्देश्य-प्रेरित दृढ़ हमारी धारणाएँ ।
मूक होगी रागिनी दुख की,
मूर्त होगी कामना सुख की,
अब दूर होंगी हर तरह की विषमताएँ!

26 January Republic day Poem in Hindi

आलोकित हो अन्तरतम,
गूँजे कलरव-सम सरगम,
गणतंत्र-दिवस के उज्ज्वल भावों को मधुमय स्वर दो !
आँखों में समता झलके,
स्नेह भरा सागर छलके,
गणतंत्र-दिवस की आस्था कण-कण में मुखरित कर दो !
पशुता सारी ढह जाये,
जन-जन में गरिमा आये,
गणतंत्र-दिवस की करुणा-गंगा में कल्मष हर लो !

छोड़ हिंसा को, अहिंसा अपनाकर हमें दिखाना है
बापू के आदर्शों पे भी चल के हमे बताना है
नई सदी के लोग हैं हम कुछ कर के हमें दिखाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है|
शिक्षित अगर पूरा समाज हो जाए तो ये देश फिर और आगे बढ़ जाएगा
देश का हर बच्चा तब गाँधी, सुभाष बन पाएगा
शिक्षा की इस जोत को घर-घर में हमें जलाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है|
डूब रही है सभ्यता संस्कृति चारों ओर अंधकार है
मिट रही है दुनियाँ सारी चारों ओर कोहराम है
डूबती हुइ सभ्यता संस्कृति जो, उसको हमें बचाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है|
कहने से बड़ी-बड़ी बातें कुछ नहीं मिल जाएगा
जो है, जैसा है सब वैसा हीं रह जाएगा
सो चुके इस समाज को फिर से हमें जगाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है|

गणतंत्र दिवस पर कविता 2019 

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।
26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,
मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।
विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।
इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।|

Republic Day Par Poem in Hindi

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,
जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।
इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,
इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।
इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,
गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।
गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,
जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।
इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,
चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।
क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,
तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।
तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,
मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

गणतंत्र दिवस पर कविता हिंदी में

मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।
जो आके टकराता है,
अहं चूर भी करता हूं।
दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।
लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।
आतंकवादी अवसरवादी,
आने से कतराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,
तहस-नहस हो जाते हैं।
अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।
मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ,
इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे,
जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों,
अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ,
भाषा के नाम पर लड़ने वालों,
हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ,
राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम,
इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए,
आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है,
ये बात अब भी समझ जाओ तुम,
फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए,
कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम,
भारत में हर कोई साक्षर हो,
देश को ऐसे पढ़ाओ तुम|

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