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Home>>Essay>>Prathviraj Chauhan in hindi – Prathviraj Chauhan History In Hindi
Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi
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Prathviraj Chauhan in hindi – Prathviraj Chauhan History In Hindi

Hindi Kavita ShayariJuly 23, 2018 1904 Views5

Aaj hum aapko is post ke madhyam se Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi ke bare main vistaar porvak batayrenge agr aapkoyah post Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi pasand aaye tau hame comment karke batayen.

दिल्ली के राज-सिंहासन पर बैठने वाले चौहान राजवंश के अंतिम शासक पृथ्वीराज चौहान का जन्म वर्ष 1168 में, अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के यहाँ एक पुत्र के रूप में हुआ था। पृथ्वीराज चौहान एक प्रतिभाशाली बालक थे, जो सैन्य कौशल सीखने में बहुत ही निपुण थे। पृथ्वीराज चौहान में आवाज के आधार पर निशाना लगाने की कुशलता थी। जब वर्ष 1179 में पृथ्वीराज के पिता की एक युद्ध में मृत्यु हो गई थी, तब पृथ्वीराज ने 13 वर्ष की उम्र में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को संभाला था। पृथ्वीराज के दादा अंगम दिल्ली के शासक थे। उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साहस और बहादुरी के बारे में सुनने के बाद, उन्हें दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। पृथ्वीराज ने एक बार बिना किसी हथियार के अकेले ही एक शेर को मार डाला था। पृथ्वीराज चौहान को एक योद्धा राजा के रूप में जाने जाते हैं

Prathviraj Chauhan History in Hindi

पृथ्वीराज चौहान जिस समय अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे थे, उस समय वर्ष 1191 में मोहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण कर दिया था और तराइन के पहले युद्ध में गोरी पराजित हो गया था। मोहम्मद गोरी की पराजित होने वाली सेना पर हमला करने के लिए कहा गया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने असली राजपूत परंपरा का पालन करने के लिए ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि पीठ पीछे हमला करना निष्पक्ष युद्ध नियमों के अनुरूप नहीं था। Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi परिणामस्वरूप, मोहम्मद गोरी ने फिर से भारत पर आक्रमण किया और तराइन के द्वतीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजित करके बंदी बना लिया। पृथ्वीराज चौहान के साथ काफी बुरा व्यवहार किया गया था, क्योंकि उसने पृथ्वीराज चौहान की आँखों में लाल गर्म लोहे की छड़ डालकर उन्हें अंधा बना दिया था। लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने अपना साहस नहीं खोया। उन्होंने अपने दरबारी कवि और मित्र चंदबरदाई की सहायता से “शब्दभेदी बाण” के जरिए मुहम्मद गोरी को मारने की योजना बनाई। पृथ्वीराज चौहान के द्वारा आवाज के आधार पर निशाना लगाने का उनका यह हुनर काफी काम आया। पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी के द्वारा आयोजित तीरंदाजी प्रतियोगिता के दौरान अपने कौशल को प्रदर्शित किया। जब मोहम्मद गोरी ने उनकी प्रशंसा की तब उन्होंने उसकी आवाज सुनकर शब्दभेदी बाण चला दिया और मोहम्मद गोरी को मार गिराया। शत्रुओं के हाथों मरने से बचने के लिए पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र चंदबरदाई ने एक दूसरे को मार दिया था।

Prathviraj Chauhan in Hindi Status

“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”

हमारे मत अलग हो सकते है हमारा मन अलग नहीं है।
हमारी भाषा अलग हो सकती है , हमारी संस्कृति नहीं।
हमारे काम अलग अलग है , हमारी पहचान एक है।

Prathviraj Chauhan Love Story In hindi

Agar aap Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi, Prathviraj Chauhan Love Story In hindi, Prathviraj chauhan ke baare main jaana chahte hai to yaha se jaan sakte hai.

दिल्ली की राजगद्दी पर बैठने वाले अंतिम हिन्दू शासक और भारत के महान वीर योद्धाओं में शुमार पृथ्वीराज चौहान का नाम कौन नहीं जानता। एक ऐसा वीर योद्धा जिसने अपने बचपन में ही शेर का जबड़ा फाड़ डाला था और जिसने अपनी दोनों आंखें खो देने के बावजूद भी शब्द भेदी बाण से भरी सभा में मोहम्मद गौरी को मृत्यु का रास्ता दिखा दिया था।

बात उन दिनों की है जब पृथ्वीराज चौहाण अपने नाना और दिल्ली के सम्राट महाराजा अनंगपाल की मृत्यु के बाद दिल्ली की राज गद्दी पर बैठे। गौरतलब है कि महाराजा अनंगपाल को कोई पुत्र नहीं था इसलिए उन्होंने अपने दामाद अजमेर के महाराज और पृथ्वीराज चौहाण के पिता सोमेश्वर सिंह चौहाण से आग्रह किया कि वे पृथ्वीराज को दिल्ली का युवराज घोषित करने की अनुमति प्रदान करें। महाराजा सोमेश्वर सिंह ने सहमति जता दी और पृथ्वीराज को दिल्ली का युवराज घोषित किया गया, काफी राजनीतिक संघर्षों के बाद पृथ्वीराज दिल्ली के सम्राट बने। दिल्ली की सत्ता संभालने के साथ ही पृथ्वीराज को कन्नौज के महाराज जयचंद की पुत्री संयोगिता भा गई।उस समय कन्नौज में महाराज जयचंद्र का राज था। उनकी एक खूबसूरत राजकुमारी थी जिसका नाम संयोगिता था। जयचंद्र पृथ्वीराज की यश वृद्धि से ईर्ष्या का भाव रखा करते थे। एक दिन कन्नौज में एक चित्रकार पन्नाराय आया जिसके पास दुनिया के महारथियों के चित्र थे और उन्हीं में एक चित्र था दिल्ली के युवा सम्राट पृथ्वीराज चौहान का। जब कन्नौज की लड़कियों ने पृथ्वीराज के चित्र को देखा तो वे देखते ही रह गईं। सभी युवतियां उनकी सुन्दरता का बखान करते नहीं थक रहीं थीं। पृथ्वीराज के तारीफ की ये बातें संयोगिता के कानों तक पहुंची और वो पृथ्वीराज के उस चित्र को देखने के लिए लालायित हो उठीं।राजकुमारी के पिता ने चौहाण का अपमान करने के उद्देश्य से स्वयंवर में उनकी एक मूर्ति को द्वारपाल की जगह खड़ा कर दिया। राजकुमारी संयोगिता जब वर माला लिए सभा में आईं तो उन्हें अपने पसंद का वर (पृथ्वीराज चौहाण) कहीं नजर नहीं आए। इसी समय उनकी नजर द्वारपाल की जगह रखी पृथ्वीराज की मूर्ति पर पड़ी और उन्होंने आगे बढ़कर वरमाला उस मूर्ति के गले में डाल दी। वास्तव में जिस समय राजकुमारी ने मूर्ति में वरमाला डालना चाहा ठीक उसी समय पृथ्वीराज स्वयं आकर खड़े हो गए और माला उनके गले में पड़ गई। संयोगिता द्वारा पृथ्वीराज के गले में वरमाला डालते देख पिता जयचंद्र आग बबूला हो गए। वह तलवार लेकर संयोगिता को मारने के लिए आगे आए, लेकिन इससे पहले की वो संयोगिता तक पहुंचे पृथ्वीराज संयोगिता को अपने साथ लेकर वहां से निकल पड़े।स्वयंवर से राजकुमारी के उठाने के बाद पृथ्वीराज दिल्ली के लिये रवाना हो गए। आगे जयचंद्र ने पृथ्वीराज से बदला लेने के उद्देश्य से मोहम्मद गौरी से मित्रता की और दिल्ली पर आक्रमण कर दिया। पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को 16 बार परास्त किया लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने सहर्दयता का परिचय देते हुए मोहम्मद गौरी को हर बार जीवित छोड़ दिया। राजा जयचन्द ने गद्दारी करते हुए मोहम्मद गोरी को सैन्य मदद दी और इसी वजह से मोहम्मद गौरी की ताकत दोगुनी हो गयी तथा 17वी बार के युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गोरी से द्वारा पराजित होने पर पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गोरी के सैनिको द्वारा उन्‍हें बंदी बना लिया गया एवं उनकी आंखें गरम सलाखों से जला दी गईं। इसके साथ अलग-अलग तरह की यातनाए भी दी गई।

Prathviraj Chauhan ki Photos

Prithviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi

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Prathviraj Chauhan Vs Mohammad Gauri

पृथ्वीराज और मुहम्मद गौरी के बीच हुए दो भीषण युद्ध, सन 1191 और 1192 में थानेश्वर के करीब तरावड़ी स्थान पर क्रमश लड़े गए थे। किवदंतीयों की माने तो आक्रमणकारी सम्राट मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान पर कुल 18 बार आक्रमण किया था, जिनमे 17 बार मुहम्मद गौरी की पराजय हुई थी। 18वी बार उसने पृथ्वीराज को परास्त कर दिया। Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi (18 बार आक्रमण की बात पर अपवाद हो सकता है)। अगर पृथ्वीराज उसे पहली बार में ही मार देते तो शायद उनके जीवन का इतना करुण अंत ना हुआ होता।लड़ाई में मुहम्मद गौरी से परास्त होने के बाद पृथ्वीराज चौहान उसकी कैद में थे। मुहम्मद गौरी उन्हे अपने साथ ले गया था। ज़ालिम मुहम्मद गौरी नें पृथ्वीराज चौहान की दोनों आँखों को गरम सालियों से जला डाला और उन्हे अंध कर दिया था। पृथ्वीराज को मृत्यु दंड देने से पहले उनकी आखरी इच्छा पूछी गयी। पृथ्वीराज चौहान नें अपने बालपन के मित्र चंदबरदाई के माध्यम से यह बात मुहम्मद गौरी तक पहुंचवादी की पृथ्वीराज चौहान के पास “शब्द भेदी वाण” चलाने की दुर्लभ कला है। मुहम्मद गौरी को वह अदभूत कला देखने की लालसा हुई।

Yeh bhi padhe Bharat ke veer saheed chandrashekhar azad.

उसने अपने दरबार में ही फौरन प्रदर्शनी का इंतजाम कराया। दरबार में पृथ्वीराज लाये गए। वहीं उनका बाल सखा चंद बरदाई भी था, उसी ने एक दोहे के माध्यम से पृथ्वीराज को संकेत दिया… दोहा कुछ इस प्रकार था “चार बाँस चौबीस गज अंगुल अष्ठ प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुको रे चौहान ” इस संकेत के को पाते ही पृथ्वीराज चौहान नें उस जगह पर सटीक शब्द भेदी वाण चला दिया जहां पर मोहम्मद गौरी मौजूद था। मुहम्मद गौरी वहीं दम तोड़ देता है।

पृथ्वीराज और उनका परम मित्र चंद बरदाई, उसके बाद एक दूजे को मार देते हैं ताकि मुहम्मद गौरी के सिपाहियों के हाथ आने पर उनकी और दुर्गति ना हो। अपने पति पृथ्वीराज की मृत्यु की खबर पाते ही संयोगिता भी सती हो कर अपना देह त्याग देती है। Prathviraj Chauhan in hindi, Prathviraj Chauhan History In Hindi.

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