माता पिता पर कविता – माता-पिता पर हिन्दी कविता – Mummy Papa Par Kavita – Poems on Parents in Hindi – Mothers Day 2018

जिंदगी में हम जितना भी आगे क्यों ना पहुँच जाये किन्तु सबसे ज्यादा योगदान हमारे माता-पिता का ही होता है क्योंकि दोस्तों माता पिता हमारे सब कुछ होते हैं माता-पिता हमारे गुरु भी हो सकते हैं,माता-पिता हमारे अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं,माता-पिता हमारे अच्छे सलाहकार भी हो सकते हैं,माता-पिता हमारे सब कुछ हो सकते हैं आशा करता हूँ कि आप सभी को यह कविताओं का संग्रह अच्छा लगेगा !

Mata Pita Par Kavita in हिंदी | माता पिता पर कविता इन हिंदी

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता​।

सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।

फूल कभी दो बार नहीं खिलते,
जन्म कभी दो बार नहीं मिलते,
मिलने को तो हजारो लोग मिल जाते है
पर हजारो गलतियां माफ़ करने वाले
माँ बाप नहीं मिलते..!!!!

बंद किस्मत के लिये कोई ताली नही होती!
सुखी उम्मीदों की कोई डाली नही होती।
जो झुक जाए माँ -बाप के चरणों में ।
उसकी झोली कभी खाली नही होती

ना ज़रूरत उसे पूजा
और पाठ की,
जिसने सेवा करी
अपनी माँ-बाप की

Maa Par Hindi शायरी

कमा के इतनी दौलत भी
मैं अपनी ”माँ” को दे ना पाया,
उतने सिक्‍के भी जितने सिक्‍कों से
”माँ” मेरी नज़र उतार कर फेक दिया करती !

जब एक रोटी के चार टुकड़े हों
और खाने वाले पाँच…
तब मुझे भूख नहीं है
ऐसा कहने वाली सिर्फ माँ होती है!!

जिंदगी में जादू बहुत देखे,
पर यकीन बीमार होने पर माॅं के
‘‘नजर उतारने’’
वाले जादू पर सबसे ज्यादा हुआ!

 

माता पिता पर कविता हिंदी में 

हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए
हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर “माँ “अकेली ही काफी है,
बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!

मेरी खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथो को चूल्हे में जलाना याद आता है।
वो डांट-डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
कही हो जाये ना घर की मुसीबत लाल को मालूम,
छुपा कर तकलीफें तेरा मुस्कुराना याद आता है।
जब आये थे तुझे हम छोड़ कर परदेश मेरी माँ,
मुझे वो तेरा बहुत आंसू बहाना याद आता है।

माता-पिता पर हिन्दी कविता – Poem On Parents in Hindi

घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरों पर खड़ा हुआ,
तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हुआ..
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है,
मैं ही मैं हूँ हर जगह,
माँ प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधा-साधा, भोला-भाला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ,
कितना भी हो जाऊ बड़ा,

“माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ..

पिता की मौजूदगी सूरज की तरह होती है,
सूरज गर्म ज़रूर होता है,
लेकिन अगर गर्म न हो तो,
अँधेरा छा जाता है..

हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते
बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते

हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं
सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं

हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह

सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते

सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं

मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को
जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

तार पर बैठी हुई चिड़ियों को सोता देख कर
फ़र्श पर सोता हुआ बेटा बहुत अच्छा लगा

(munawwar rana)

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

 

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