बालिका दिवस पर कविता – National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

बालिका दिवस पर कविता - National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

राष्ट्रीय बालिका दिवस 2019: राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल २४ जनवरी को मनाया जाता है | इसी दिन इंदिरा गाँधी जी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी उसी दिन की याद में हम हर वर्ष २४ जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस बड़े ही उत्साह पूर्वक मानते है | राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन हमें लड़का-लड़की में भेद नहीं करने व समाज के लोगों को लिंग समानता के बारे में जागरूक करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए |कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों के अनुपात में काफ़ी कमी आयी है। पूरे देश में लिंगानुपात 933:1000 है। आज में आपके साथ इस पोस्ट “बालिका दिवस पर कविता, National Girls Child Day Poem in Hindi 2019” के माध्यम से बेटियों पर कविता शेयर कर रहा हु जिसे आप अपने दोस्तों, बेटियों, पुत्रवधु को आसानी से शेयर व् सांझा कर सकते है

बालिकाओं की सेहत, पोषण व पढ़ाई जैसी चीज़ों पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है ताकि बड़ी होकर वे शारीरिक, आर्थिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर व सक्षम बन सकें। 
किशोरियों व बालिकाओं के कल्याण के लिए सरकार ने ‘समग्र बाल विकास सेवा’, ‘धनलक्ष्मी’ जैसी योजनाएँ चलाई हैं। हाल ही में लागू हुई ‘सबला योजना’ किशोरियों के सशक्तीकरण के लिए समर्पित है। इन सबका उद्देश्य लड़कियों, ख़ासकर किशोरियों को सशक्त बनाना है ताकि वे आगे चलकर एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।

बालिका दिवस पर कविता

बालिका दिवस पर कविता - National Girl Child Day Poem in Hindi 2019
बालिका दिवस पर कविता – National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती हैं बेटियाँ
नाजुक सा दिल रखती हैं, मासूम सी होती हैं बेटियाँ
बात बात पर रोती हैं, नादान सी होती हैं बेटियाँ
रहमत से भरभूर खुदा की नेमत हैं बेटियाँ
हर घर महक उठता है, जहाँ मुस्कुराती हैं बेटियाँ
अजीब सी तकलीफ होती हैं, जब दूर जाती हैं बेटियाँ
घर लगता है सूना – सूना पल – पल याद आती हैं बेटियाँ
खुशी की झलक और हर बाबुल की लाड़ली होती हैं बेटियाँ
ये हम नहीं कहते ये तो रब कहता है
कि जब मैं खुश रहता हूँ जो जन्म लेती हैं बेटियाँ |

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता

फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया।
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।।
सरगम से लहक उठता मेरा आंगन।
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।।
जल तरंग सी छिड़ जाती है।
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।।
गद -गद दिल मेरा हो जाये।
बाबा -बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया।।
कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया।
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया।।
दफ्तर से जब लौटकर आऊं।
दौड़कर पानी लाती गुड़िया।।
कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं।
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया।।
फिर दोनों में सुलह कराती।
प्यारी -प्यारी बातों से गुड़िया।।
मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है।
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया।।

मेहँदी बोली कुमकुम का त्यौहार नहीं होता-
रक्षाबंधन के चन्दन का प्यार नहीं होता-
इसका आँगन एक दम सूना-सूना सा रहता है-
जिसके घर में बेटी का अवतार नहीं होता-
जिस धरती पर से मात्र शक्ति का मान नहीं जा सकता है-
नर के नारी से सम्मान नहीं जा सकता है-
बेटा घर में हो तो बेशक सीना ठंडा रह जाये-
बेटी घर में हो तो भूखा मेहमान नहीं जा सकता…

National Girl Child Day Poem in Hindi

अगर आप राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता इन हिंदी, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता हिंदी में, बेटी बचाओ बेटो पढ़ाओ पर कविता इन हिंदी, बालिका दिवस पर स्पीच इन हिंदी, National Girl Child Day Poem in Hindi, National Girl Child Day Poem in Hindi for daughter, National Girl Child Day Poem in Hindi for daughter in law, balika diwas par kavita hindi me, balika diwas par speech  आदि ढूंढ रहे है तो यहां से आसानी से प्राप्त कर सकते है

बिन बेटी ये मन बेकल है, बेटी है तो ही कल है,
बेटी से संसार सुनहरा, बिन बेटी क्या पाओगे?
बेटी नयनों की ज्योति है, सपनों की अंतरज्योति है,
शक्तिस्वरूपा बिन किस देहरी-द्वारे दीप जलाओगे?
शांति-क्रांति-समृद्धि-वृद्धि-श्री सिद्धि सभी कुछ है उनसे,उनसे नजर चुराओगे तो किसका मान बढ़ाओगे ?
सहगल-रफ़ी-किशोर-मुकेश और मन्ना दा के दीवानों!
बेटी नहीं बचाओगे तो लता कहां से लाओगे ?
सारे खान, जॉन, बच्चन द्वय रजनीकांत, ऋतिक, रनबीर
रानी, सोनाक्षी, विद्या, ऐश्वर्या कहां से लाओगे ?
अब भी जागो, सुर में रागो, भारत मां की संतानों!
बिन बेटी के, बेटे वालों, किससे ब्याह रचाओगे?
बहन न होगी, तिलक न होगा, किसके वीर कहलाओगे?
सिर आंचल की छांह न होगी, मां का दूध लजाओगे।

मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।
मैं भी तो तेरा ही अंश हूँ,
फिर कैसे तू मुझे खुद से
अलग कर सकती है ?
तू तो माँ मेरी अपनी है
फिर क्यों….?
माना की तूने ये खुद से ना चाहा…
विवश हुई तू औरों के हाथों….
पर थोड़ी सी हिम्मत जो करती
तो शायद मैं भी जी पाती…
या फिर किया तूने ये सोच कर
कि जो कुछ सहा है तूने अब तक…..
वो सब सहना पड़े न मुझको…!
क्या बेटी होना ही कसूर है मेरा …..?
जो तू भी मुझे पराया करना चाहती है…!!
तू भी नहीं तो फिर कौन होगा मेरा अपना ?
क्यों मेरे जज्बातों को कुचल देना चाहती है ?
जीवन देने से पहले ही क्यों मार देना चाहती है ?
क्यों… मेरा कसूर क्या है ?
क्या सिर्फ एक बेटी होना ही मेरी सजा है…?
मुझको भी इस दुनिया में आने तो दो ….
कुछ करने का मौका तो दो….
जीवन की हर लड़ाई लड़ कर दिखाउंगी
खुद को साबित करके दिखाऊँगी,
मुझे एक मौका तो दो।
मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।

बेटियों पर कविता

बालिका दिवस पर कविता - National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

घर की जान होती हैं बेटियाँ,
पिता का गुमान होती हैं बेटियाँ,
ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियाँ,
यूँ समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियाँ.

बेटो से ज्यादा वफादार होती हैं बेटियाँ,
माँ के कामों में मददगार होती हैं बेटियाँ,
माँ-बाप के दुःखको समझे, इतनी समझदार होती हैं बेटियाँ,
असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियाँ.

बेटियों की आँखे कभी नम ना होने देना,
जिन्दगी में उनकी खुशियाँ कम ना होने देना,
बेटियों को हमेशा हौसला देना, गम ना होने देना,
बेटा-बेटी में फर्क होता हैं, ख़ुद को ये भ्रम ना होने देना.

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता हिंदी में

लाड़ली बेटी जब से स्कूल जाने हैं लगी,
हर खर्चे के कई ब्योरे माँ को समझाने लगी.

फूल सी कोमले और ओस की नाजुक लड़ी,
रिश्तों की पगडंडियों पर रोज मुस्काने लगी.

एक की शिक्षा ने कई कर दिए रोशन चिराग,
दो-दो कुलों की मर्यादा बखूबी निभाने लगी.

बोझ समझी जाती थी जो कल तलक सबके लिए,
घर की हर बाधा को हुनर से वहीं सुलझाने लगी.

आज तक वंचित रही थी घर में ही हक के लिए,
संस्कारों की धरोहर बेटों को बतलाने लगी.

वो सयानी क्या हुई कि बाबुल के कंधे झुके,
उन्हीं कन्धों पर गर्व का परचम लहराने लगी.

पढ़-लिखकर रोजगार करती, हाथ पीले कर चली,
बेटी न बेटों से कम, ये बात सबको समझ में आने लगी.

बेटियों पर कविता – मैं बोझ नहीं हूँ

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर स्पीच 2018- Speech on International Girl Child Day in Hindi 2018, बालिका दिवस पर कविता - National Girl Child Day Poem in Hindi 2019
बालिका दिवस पर कविता – National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा
चलते चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा
अँधेरे से दर लगता सीने से लगा लो न पापा
मम्मी तो सो गई
आप ही थपकी देकर सुलाओ न पापा
स्कूल तो पूरी हो गई
अब कॉलेज जाने दो न पापा
पाल पोस कर बड़ा किया
अब जुदा तो मत करो न पापा
अब डोली में बिठा ही दिया तो
आँसू तो मत बहाओ न पापा
आपकी मुस्कुराहट अच्छी हैं
एक बार मुस्कुराओ न पापा
आप ने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा
इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनियाँ को समझाओ न पापा.

National Girl Child Day Poem in Hindi 2019

मैं जिंदगी में बोझ नहीं हूं
मुझे इस धरा पर आने दो पापा
मैं तुम्हारे हर गम को बंटाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं तुम्हारी संपत्ति को नहीं बंटाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं साइना नेहवाल बन देश का नाम करूंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं मैरीकॉम बन तुम्हारे दुश्मनों को
मार भगाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

जब तुम थके-मांदे आओगे
मैं चाय बनाकर लाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं दुर्गा बन समाज के महिषासुरों
का विनाश करूंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं इंदिरा बनकर ‍पाकिस्तान
के छक्के छुड़ाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा

मैं मां-बह‍िन-बिटिया बन
लोरी गाऊंगी
मुझे इस धरा पर आने दो पापा