Lal Bal Pal Full Name in Hindi – लाल बाल पाल का इतिहास

Lal Bal Pal Full Name in Hindi - लाल बाल पाल का इतिहास

Aaj hum Aapko apni post “Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal भारत के सहीद लाल बाल पाल Lal Bal Pal in Hindi” Ke madhyam se Lal Bal Pal (Lala Lajpat Rai, Bal Gangadhar Tilak aur Vipin Chandra Pal) saheedo ke baare main batane jaa rhe hai.Ki kis tarah unhone apni jaan ko daav par lagakar bharat desh ko aajad karaya tha. 15 August 2018 Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal , भारत के सहीद लाल बाल पाल , Lal Bal Pal in Hindi

Lal Bal Pal Essay In Hindi – Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

Lala Lajpat Rai – Lal Bal Pal in Hindi

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Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

‘लाला लाजपत राय’ का जन्म 28 जनवरी 1865 में भारत के पंजाब राज्य के लुधियाना नगर के जगराव कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम राधा कृष्ण था, जो एक ऊर्दू के शिक्षक थे। लाला लाजपत राय भारतीय पंजाबी लेखक और एक राजनेता थे, जो ज्यादातर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता के रूप में याद किये जाते है. वे ज्यादातर पंजाब केसरी के नाम से जाने जाते है. लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में लाल मतलब लाला लाजपत राय ही है. उनके प्रारंभिक जीवन में वे पंजाब राष्ट्रिय बैंक और लक्ष्मी बिमा कंपनी से भी जुड़े थे.लाला लाजपत राय भारत को एक पूर्ण हिंदु राष्ट्र बनाना चाहते थे).Lal Bal Pal in Hindi.

हिंदुत्वता, जिसपे वे भरोसा करते थे, उसके माध्यम से वे भारत में शांति बनाये रखना चाहते थे और मानवता को बढ़ाना चाहते थे.ताकि भारत में लोग आसानी से एक-दुसरे की मदद करते हुए एक-दुसरे पर भरोसा कर सके. क्यूकी उस समय भारतीय हिंदु समाज में भेदभाव, उच्च-नीच जैसी कई कु-प्रथाए फैली हुई थी, लाला लाजपत राय इन प्रथाओ की प्रणाली को ही बदलना चाहते थे.अंत में उनका अभ्यास सफल रहा और वे भारत में एक अहिंसक शांति अभियान बनाने इ सफल रहे और भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए ये बहोत जरुरी था. वे आर्य समाज के भक्त और आर्य राजपत्र (जब वे विद्यार्थी थे तब उन्होंने इसकी स्थापना की थी) के संपादक भी थे.भारत के सहीद लाल बाल पाल

Lala Lajpat Rai More About

सन् 1907 में अचानक ही बिना किसी को पहले बताये मांडले, बर्मा (म्यांमार) से उन्हें देश से निकाला गया और नवम्बर में, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत ना होने की वजह से वायसराय, लार्ड मिन्टो ने उनके अपने देश में उन्हें वापिस भेजने का निर्णय लिया.अपने देश में वापस आने के बाद लाला लाजपत राय ने सूरत की प्रेसीडेंसी पार्टी से चुनाव लड़ने का सोचा और बाद में लडे भी थे लेकिन वहा भी ब्रिटिशो ने उन्हें निकाल दिया| लेकिन लाला लाजपत राय ने हार नहीं मानी क्योंकि वे देश से प्रेम करते थे.

उन्होंने ब्रिटिश संस्था के पर्यायी ब्रद्लौघ हॉल, लाहौर की स्थापना की और 1920 के विशेष सेशन में उन्हें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया.
उन्होंने सन् 1921 में समाज की सेवा करने वाले लोगो को खोजना शुरू किया, और उन्ही की सहायता से बिना किसी लाभ के उद्देश से एक संस्था की स्थापना की और संस्था लाहौर में ही थी, वो संस्था विभाजन के बाद दिल्ली में आ गयी, और भारत के कई राज्यों में उस संस्था की शखाएं भी खोली गयी.
लाला लाजपत राय का हमेशा से यही मानना था की,

“मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है न की दुसरो की कृपा से”

सन् 1928 में 30 अक्टूबर को साइमन कमीशन पंजाब गया| लोगों ने लाला लाजपत रॉय के नेतृत्व में बहुत बड़ा मोर्चा निकाला. पुलिस द्वारा किये गए निर्दयी लाठीचार्ज में लाला लाजपत रॉय घायल हुये और दो सप्ताह के बाद अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गयी. Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

Bal Gangadhar Tilak – Lal Bal Pal in Hindi

Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

भारतीय राष्ट्रीय भावना के अग्रदूत लोकमान्य Bal Gangadhar Tilak ने ही घोषणा की थी कि “स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मै उसे लेकर रहूँगा ” | इसी उद्देश्य की प्राप्ति के वे जीवन भर संघर्ष करते रहे | Bal Gangadhar Tilak का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनके पिता गंगाधर शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे | उन्होंने अपने पुत्र को घर पर संस्कृत की शिक्षा दी |

इनकी माता, पार्वती बाई धार्मिक विचारों वाली महिला थी। इनके दादा जी स्वंय महा-विद्वान थे। उन्होंने बाल को बचपन में भारतीय संस्कृति, सभ्यता, परम्पराओं और देशभक्ति की शिक्षा दी। अपने परिवार से बाल्यकाल में मिले संस्कारों की छाप तिलक के भावी जीवन में साफ दिखाई पड़ती हैं। तिलक के पिता ने घर पर ही इन्हें संस्कृत का अध्ययन कराया। जब बाल तीन साल के थे तब से ये प्रतिदिन संस्कृत का श्लोक याद करके 1 पाई रिश्वत के रुप में लेते थे। पाँच वर्ष के होने तक इन्होंने बहुत कुछ सीख लिया था। इन्हें 1861 में प्रारम्भिक शिक्षा के लिये रत्नागिरि की मराठी पाठशाला में भेजा गया।Lal Bal Pal in Hindi.

मुजफ्फरपुर काण्ड में जब खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी को फांसी की सजा दी गयी, तो तिलक ने केसरी के माध्यम से इसका विरोध किया । रूस के क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर बम बनाने की विधि एवं छापामार युद्ध की शैली सीखी । शक के आधार पर घर की तलाशी में बम बनाने का विवरण हाथ लगा । इस आरोप की पैरवी मोहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे । स्वयं तिलक ने 21 घण्टे पैरवी की, किन्तु उन्हें 1908 में इस आरोप हेतु काले पानी की सजा दे दी गयी ।भारत के सहीद लाल बाल पाल

Bal Gangadhar Tilak More About

6 वर्ष की इस काले पानी की सजा को भोगने के लिए तिलक को माण्डले जेल के अत्यन्त कष्टप्रद वातावरण में रखा गया । इसी बीच उनकी पत्नी का देहावसान हो गया । तिलक ने माण्डले जेल में रहते हुए 100 पेज की गीता की टीका भी लिखी, जो गीता रहस्य के नाम से मशहूर हुई । गीता की कर्मयोग की व्याख्या में उन्होंने भक्ति, ज्ञान और कर्म में उच्च कर्म को बताया ।1914 में माण्डले जेल से मुक्त किये जाने पर उन पर हत्या और मानहानि के अनेक आरोप लगे । इसी बीच वे एनीबेसेन्ट के होमरूल आन्दोलन में सम्मिलित हो गये । तिलक ने 1916 में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग का संयुक्त अधिवेशन करवाया । लखनऊ पैक्ट के द्वारा दोनों सम्प्रदायों ने स्वराज्य की मांग की । 1917 के कांग्रेस अधिवेशन में तिलक ने एनीबेसेन्ट को अध्यक्ष निर्वाचित करवाया ।Lal Bal Pal in Hindi.

1918 के मुम्बई अधिवेशन में मिले अपने अध्यक्ष पद को अस्वीकार कर दिया . शिवाजी जयन्ती, गणेशोत्सव उनके राष्ट्रीयतावादी विचारधारा के पर्याय थे . वे उग्रवादी विचारधारा को स्वराज्य प्राप्ति हेतु श्रेयस्कर मानते थे . उन्होंने प्रार्थना, याचना, अपील, दया का विरोध किया .Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

Bipin Chandra Pal – Lal Bal Pal in Hindi

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बिपिन चन्द्र पाल भारतीय राष्ट्रवादी क्रन्तिकारी थे. इतिहास की प्रसिद्द तिकड़ी लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में पाल, बिपिन चन्द्र पाल ही थे. बिपिन चन्द्र पाल का अपने पुरे जीवन को देश की आज़ादी के लिये समर्पित किया. उन्होंने बहोत से स्वतंत्रता आंदोलनों में बहोत से प्रभावशाली नेताओ के साथ काम किया था.

16 साल की उम्र मे बिपिनचंद्र ने ब्राम्हण समाज मे प्रवेश किया. 1876 मे शिवनाथ शास्त्रीने पाल इनको ब्राम्हण समाज की दिक्षा दी. मूरत पूजा न मानने वाले ब्राम्हण समाज के अनुयायी होना मतलब आधा ख्रिश्चन होना ऐसा पुराने विचारों के लोगों का मानना था. ये सब रामचंद्र पाल इनको मालूम हुवा तब उनको बहोत गुस्सा आया. उन्होंने बेटे के साथ नाता तोड दिया. ब्राम्हण समाज के काम वो बहोत निष्टा से करते थे। कटक, म्हैसुर और सिल्हेट इस जगह उन्होंने शिक्षक की नोकरी की थी. भारतीय समाज की प्रगती शिक्षा की वजह से होंगी, ऐसा उनका मानना था। 1880 मे बिपिनचंद्रने सिल्हेट इस जगह ‘परिदर्शक’ इस नाम का बंगाली साप्ताहिक प्रकाशीत किया, वैसे ही कोलकता आने के बाद उनको वहा के ‘बंगाल पब्लिक ओपिनियन’ के संपादक मंडल मे लिया गया.भारत के सहीद लाल बाल पाल

Bipin Chandra Pal More About

1887 में बिपिनचंद्र ने राष्ट्रीय कॉग्रेस के मद्रास अधिवेशन मे पहली बार हिस्सा लिया. ‘शस्त्रबंदी कानुन के खिलाफ’ उस जगह का भाषण उत्तेजनापूर्ण और प्रेरक रहा. 1887 – 88 में उन्होंने लाहोर के ‘ट्रिब्युन’ का संपादन किया. 1900 मे बिपिनचंद्र पाल पाश्चात्त्य और भारतीय तत्वज्ञान का तुलनात्मक अभ्यास करने के लिये इंग्लंड गये. वहा के भारतीयो के लिये ‘स्वराज्य’ नाम का मासीक उन्होंने निकाला. 1905 मे इंग्लंड से कोलकता आने के बाद वो ‘न्यु इंडिया’ नामका अंग्रेजी साप्ताहिक चलाने लगे. 1905 मे गव्हर्नर जनरल लॉर्ड कर्झन ने बंगाल का विभाजन किया. लोकमान्य तिलक , लाला लाजपत राय जहाल नेताओ के साथ उन्होंने इस विभाजन का विरोध किया.  देश मे जागृती कि. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पुरे देश मे आंदोलन शुरु हुये. उस मे से भारतीय राजकारण में लाल – बाल – पाल इन त्रिमूर्तीओं का उदय हुवा. भारत के सहीद लाल बाल पाल

20 मई 1932 को इस महान क्रन्तिकारी का कोलकाता में निधन हो गया. वे लगभग 1922 के आस-पास राजनीति से अलग हो गए थे और अपनी मृत्यु तक अलग ही रहे.Bharat Ke Saheed Lal Bal Pal

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